RV1.3
Gross Happiness Entrepreneurship
ऋषि:- मधुच्छन्दा वैश्वामित्र:, देवता:- 1-3 अश्विनौ, 4-3 इन्द्र:ू; 7-9 विश्वेदेवा:; 10-12 सरस्वती छंद- गायत्री ।
शिल्प ज्ञान उन्नति का आधार
Life
sustainability by technology
अश्विना यज्वरीरिषो द्रवत्पाणी शुभस्पती ।
पुरुभुजा चनस्यतम् ।। RV 1.3.1
(Dayanand Bhashyaadharit)
On universal
scale - (द्रवत्पाणी) seek
fast material growth of (पुरुभुजा) food and means
that provide health (शुभस्पती) for welfare of all
by (अश्विना) employing the twins of Solar
energy resources and Water resources (यज्वरी:)with
application technological skills (इषा:) providing objects
of desire such as food & facilities (चनस्यपतम्) for
getting selected and liked by all.
समष्टि रूप में- (द्रवत्पाणी) शीघ्रता
से समृद्धि पाने के लिए (पुरुभुजा) सब के बल और स्वास्थ्य
के लिए (इषा:) अन्नादि ऐच्छिक
पदार्थों (चनस्यपतम्)
की सात्विक प्राप्ति के लिए (अश्विना) प्राकृतिक
उपलब्द्ध अग्नि सौर ऊर्जा और जल तत्व के प्रयोग से (यज्वरी:) भौतिक यज्ञादि कुशल कर्मों में प्रवृत्त होवें .
व्यष्टि
रूप में - On another level प्राणापान को अश्विना शब्द
से स्मरण किया जाता है. कि ये ‘ न श्व:’ यह निश्चित नहीं कि ये कल भी
रहेंगे ,और यह सदैव क्रिया करते रहते हैं . इन्हीं के कारण यह मानव शरीर चल रहा है, भूख लग रही है और सब इच्छाएं प्रकट हो रही हैं . (यज्वरी:) यज्ञशील बनने के लिए (इषा:) अन्नदि इच्छित
पदार्थ (चनस्यपतम्)
सात्विकता का जीवन में चयन आवश्यक है. प्राणायाम द्वारा तामसिक वृत्तियों आलस्य
काम क्रोध इत्यादि के परित्याग से सात्विक वृत्तियों अहिंसा कर्मठता आत्मविश्वास
यज्ञशील जीवन से ही प्रगति और सुख समृद्धि प्राप्त होती है.
प्रोद्योगकि शिक्षा
Technical
Education
1.
अश्विना पुरुदंससा नरा शवीरया धिया । धिष्ण्या वनतं गिर: ।। RV 1.3.2
(अश्विना)To employ energy and material resources (पुरुदंससा) for technologies that provides many solutions (नरा शवीरया) for speedy implementation
(धिया) bring to knowledge । (धिष्ण्या) by fast
communication methods (वनतं) to users ( गिर: ) by lecturing education.
(सौर)
ऊर्जा और पदार्थ (जलादि) संसाधनों के वैज्ञानिक प्रयोग से शीघ्र उत्तम उपब्धियों के लिए उत्तमगुरु जन उपदेश
द्वारा शिक्षा प्राप्त कराएं
विषमता नाशक ज्ञान
Knowledge to remove hardship
3.दस्रा युवाकव: सुता नासत्या वृक्तबर्हिष: । आ यातं रुद्रवर्तनी ।। RV1.3.3
(दस्रा: ) that which
removes hardship (युवाकव: ) multidiscipline ( सुता) born out of ( नासत्या ) that
which is flawless (वृक्तबर्हिष: )
expert consultants- can also be pathogen destroying herbal covers । (आ यातं)
bring in common use (रुद्रवर्तनी) That does not allow any harm to come.
कठिनाइयों
विषमता का नाश ही औद्योगिक शिल्प ज्ञान की
उपब्धि है.
शिल्प ज्ञान की उपलब्धियां
Gifts
of Entrepreneurship
4.इन्द्रा याहि चित्रभानो सुता इमे त्वायव: । अण्वीभिस्तना पूतास: ।। RV1.3.4
(इन्द्रा याहि)The
entrepreneurs by (अण्वीभिस्तना पूतास :) utilizing their knowledge and paying attention to the minutest inputs (सुता) create
(इमे त्वायव :)by their efforts (चित्रभानो)
amazingly useful results.
सूक्ष्म से सूक्ष्म विषय पर ध्यान दे कर अपने ज्ञान के सदुपयोग से शिल्प
द्वारा आश्चर्यजनक उपलब्धियां सम्भव होती
हैं.
चमत्कारी आविष्कार
Creation
of innovative products
5. इन्द्रा याहि धियेषितो विप्रजूत: सुतावत: । उप ब्रह्माणि वाघत: ।। RV1.3.5
(इन्द्रा याहि) The entrepreneurs (धियेषितो विप्रजूत: उप ब्रह्माणि) by intelligent
knowledge application (सुतावत: वाघत) create very useful products.
सफल
शिल्पी अत्यंत सफल आविष्कारक होते हैं
नवीन आविष्कार
New
Technological products
6. इन्द्रा याहि तूतुजान उपब्रह्माणि हरिव: । सुते दधिष्व नश्चन: ।। RV1.3.6
(इन्द्रा याहि) The entrepreneurs (सुते दधिष्व नश्चन:) create useful food
etc. every day use products ( तूतुजान उपब्रह्माणि हरिव: ) by excellent knowledge base highly productive methods.
प्रोद्योगिकि शिक्षा का लक्ष्य
Objects
of Technical Education
7. ओमासश्चर्षणीधृतो विश्वे देवास आ गत । दाश्वांसो दाशुष: सुतम् ।। RV1.3.7
Our education should inculcate in
our progeny the fearless temperament respecting laws of Nature to provide full
protection on physical and mental level to us by good health and virtuous
thoughts for the sustainability of
individual and society.
हमारी संतान की बुद्धि में सत्य
शिक्षा के उपदेशों द्वारा वे सब देवताओं के गुण स्थापित होने चाहिएं जिस से शरीर और मन की मलिनता दूर हो कर निर्भय, विद्वत और दानवान आचरण स्थापित हो.
शिक्षकों का दायित्व Role of Teachers
8.विश्वे देवासो अप्तुर: सुतमा गन्त तूर्णय: । उस्रा इव स्वसराणि ।। RV1.3.8
(सुतम्) To provide enlightenment (विश्वे देवास:) all the world’s teachers (आगंत) should
visit daily (अप्तुर: तूर्णय:) for speedy teaching (उस्रा इव) like sun’s rays (स्वसराणि) that bring day light.
जिस प्रकार सूर्य प्रकाश से अंधकार को दूर करता है , उसी प्रकार सब गुरुजनों को शीघ्र ज्ञान के प्रकाश का दान को
देने के लिए आना चाहिए
शिक्षा का परिणाम Results of Education
9.विश्वे देवासो अस्रिध एहिमायासो अद्रुह: । मेधं जुषन्त वह्नय: ।। RV1.3.9
(अस्रिध:) Confident of their knowledge (एहिमायास:)
knowledge based action oriented community (विश्वे देवास:) all knowledgeable persons (मेधम्) by implementing
your knowledge based skills (अद्रुह:) without
causing destruction (to environment and society) (वह्नय:)
bring welfare to all.
अपनी कर्म प्रधान शिल्प शिक्षा में दृढ़ आत्मविश्वास द्वारा सब ज्ञानवान वीर
जनों बिना पर्यावरण और समाज को क्षति
पहुंचाए ,अपने शिल्प के ज्ञान से संसार में सुख साधन उत्पन्न करो.
उत्तम ज्ञानाधारित वाणि का महत्व
Good
articulate communication
10.पावका न: सरस्वती वाजेभिर्वाजिनिवती । यज्ञं वष्टु धियावसु: ।।RV 1.3.10
(सरस्वती)Knowledge enabled articulation is (Here
importance of keeping one’s knowledge up to date should also be seen.) (न:) for us ( पावका वाजेभिर्वाजिनिवती)
provider of unsullied meritorious virtuous means of habitat and strength. (धियावसु: )Provide
the society thus with excellent (ecologically sustainable) habitat (यज्ञं वष्टु) by
implementation of smart projects.
उत्तम ज्ञान आधारित वाणि, पवित्र योजनाओं को कार्यान्वित करने की क्षमता प्रदान करती है. ( यहां
अपने ज्ञान को इस स्वाध्याय द्वारा उन्नत करने का भी महत्व देखा जाता है ) इस प्रकार समाज के कल्याण के सुख साधन पर्यावरण को दूषित किए बिना उपलब्ध
करो.
मिथ्याचरण का त्याग Take Ethical Stand
11.चोदयित्री सूनृतानां चेतन्ती सुमतीनाम् | यज्ञं दधे सरस्वती ।। RV1.3.11
(चोदयित्री चेतन्ती सरस्वती) Have
the ability to perceive, stand up and speak the truth (सूनृतानां सुमतीनाम्) by rejecting
wrong ideas and following wise path (यज्ञं दधे) in
implementation of the projects.
मिथ्याचरण का त्याग और सुमति को व्यक्त करने की अपनी वाणि मे क्षमता द्वारा पथ भ्रष्ट योजनाओं के
स्थान पर कल्याण कारी योजनाएं कार्यान्वित
करो .
उत्तम वाणि शासन का मूलमंत्र
Secret
of success- Excellent Articulation
12.महो अर्ण: सरस्वती प्र चेतयति केतुना । यो विश्वा वि राजति ।। RV1.3.12
(महो अर्ण: सरस्वती प्र चेतयति केतुना ) One who has at his command the ocean of knowledge
reflected in his speech, ( यो विश्वा वि राजति) he rules
the world.
जिस की (सरस्वती) वाणि (केतुना) शुभ कर्म , श्रेष्ठ बुद्धि से (मह:) अगाध (अर्ण:) शब्दरूपी समुद्र को (प्रचेतसी) जानने वाली है, ( यो विश्वा वि राजति) वही शासनाध्यक्ष होता है.
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