Wednesday, September 14, 2011

Dream Theories in Vedas

AV 16.5 Dream Theories ऋषि: यम:, देवता-दु:ष्वप्न्नाशनम्‌ 1. विद्म ते स्वप्न जनित्रं ग्राह्या: पुत्रोSसि यमस्य करण:|AV16.5.1 It is the observance of yam niyam of Yog that gives birth to good dreams. ( Bad dreams result in nightmares, fear, crying, anger, bed wetting ) यम (अहिंसासत्यास्तेय ब्रह्मचर्यापरिग्रहा यमा) नियम ( शौचसन्तोषतप: स्वाध्ययेश्वरप्राणिधानानि नियमा) का पालन ही सुस्वप्न को जन्म देते हैं. दु:ष्वप्न का परिणाम दुष्वप्न्य( भय, क्रोध, कलह,रोना-चिल्लाना, वीर्यस्खलन आदि दुष्परिणाम) होते हैं. 2. अन्तकोसि मृत्युरसि | AV16.5.2 Pleasant dreams only spell doom of bad dreams. सुस्वप्न ही दु:ष्वप्न का नाश करते हैं. 3. तं त्वा स्वप्न तथा संविदम स न: स्वप्न दुष्वप्न्यात्‌ पाहि |AV16.5.3 Now that we know that only good dreams prevent bad dreams, we should be able to protect ourselves from bad dreams and the results of bad dreams. सुस्वप्न द्वारा हम दुष्वनों और दुष्वप्नों के परिणाम से अपनी रक्षा करें. 4. विद्म ते स्वप्न जनित्रं निर्‌ऋत्या: पुत्रोSसि यमस्य करण: | अन्तकोसि मृत्युरसि तं त्वास्वत्नतथा संविदमस न: स्वप्न दुष्वप्न्यात्‌ पाहि ||AV 16.5.4 सुस्वप्न निर्‌ऋति का परिणाम होते हैं.(निर्‌ऋति गति का निराकरण)ऐन्द्रिक चञ्चलता, मानसिक चञ्चलता का अभाव होती है. सुस्वप्न पवित्र करते हैं. (सात्विक संस्कार पवित्रता और राजसिक, तामसिक संस्कार अपवित्रता का परिणाम होते हैं) 5. विद्म ते स्वप्न जनित्रमभूत्या: पुत्रोसि यमस्य करण: | अन्तकोसि मृत्युरसि | तं त्वा स्वप्न तथा संविदम स न: स्वप्न दुष्वप्न्यात्‌ पाहि || AV 16.5.5 यम नियम पालन के साथ अभूति- भौतिक पदार्थों के संग्रह की भावना रहित- अपरिग्रह पालन से सुस्वप्न उत्पन्न होते हैं. 6. विद्म ते स्वप्न जनित्रं निर्भूत्या: पुत्रोSसि यमस्यकरण; | अन्तकोसि मृत्युरसि | तं त्वा स्वप्न तथा संविदम स न: स्वप्न दुष्वप्न्यात्‌ पाहि || AV 16.5.6 निर्भूति-संगृहीत सम्पत्ति के परित्याग से, वित्तैषणा के त्याग से सुस्वप्न उत्पन्न होते हैं. 7. विद्म ते स्वप्न जनित्रं पराभूत्या पुत्रोSसि यमस्यकरण: | अन्तकोसि मृत्युरसि | तं त्वा स्वप्न तथा संविदम स न: स्वप्न दुष्वप्न्यात्‌ पाहि || AV 16.5.7 पराभूति= पराभव, विषयों का पराभव, इन्द्रियों और मन पर विषयों का प्रभाव न होने देने से ही सुस्वप्न उत्पन्न होते हैं. 8. विद्म ते स्वप्न जनित्रं देवजामीनां पुत्रोSसि यमस्यकरण| AV 16.5.8 देवजामीनाम्‌= देवत्व की भावनाओं का स्वामीत्व , यम नियम के साथ साथ सुस्वप्न उत्पन्न करता हैं. अन्तकोसि मृत्युरसि |AV 16.5.9 Pleasant dreams only spell doom of bad dreams. सुस्वप्न ही दु:ष्वप्न का नाश करते हैं. तं त्वा स्वप्न तथा सं विद्म स न: स्वप्न दुष्वप्न्यात्‌ पाहि |AV 16.5.10 Now that we know that only good dreams prevent bad dreams, we should be able to protect ourselves from bad dreams and the results of bad dreams. सुस्वप्न द्वारा हम दुष्वप्नों और दुष्वप्नों के परिणाम से अपनी रक्षा करें.

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