Sunday, August 28, 2011

Yajnas for fulfilling all desires ?

कामेष्ठि यज्ञ विषय:
Physical effects of Homa-Agnihotra on curing almost all diseases,destroying effects of pollution in atmosphere, improvements in Agriculture productivity and quality are claimed and demonstrated to be correct. A yajna is said to thus fulfill all desires.
Can the following interpretation of a Yajurved mantra be accepted as an endorsement of this claim about effectiveness of yajnas2.?
Effect of Yajnas at subtle levels remains an obscure subject. Given the present state of scientific capabilities, at best the effect of Yajnas at subtle level remains more a matter of faith.

1.पुनस्त्वाssदित्या रुद्रा वसव: समिंधन्तां पुनर्ब्रह्मणो वसुनीथ यज्ञै: |
घृतेन त्वं तनें वर्धयस्व सत्या: सन्तु यजमानस्य कामा: || यजु 12.44

महर्षि दयानंद और स्वामी गंगेश्वरानंद यजुर्वेद भाष्याधारित्‌ चिंतन;
हे (वसुनीथ) वेदादि ज्ञान और सुवर्णादि धन प्राप्त कराने वाले, आप
(यज्ञै: )- पढ़ने पढ़ाने और कृया रूप यज्ञों से, (घृतेन) अच्छे सुंस्कृत घृत- जलादि से किये यज्ञों द्वारा , (तन्वम्‌ वर्धयस्व) हमारे भौतिक शरीर संसाधनों की वृद्धि कीजिये.
(पुनस्त्वाssदित्या रुद्रा: वसव: समिन्धतां पुनर्ब्रह्मणों) पुन: पुन: ऋत्विग्यादि के ज्ञान – औषधि विज्ञान से समिधाओं –सामग्री के चयन द्वारा यज्ञों को प्रदीप्त कर के आदित्य- radiations,वसु- यज्ञ भस्मादि भौतिक पदार्थों और रुद्र गण – रोगाणुओं को नष्ट करने के प्रभाव से ,यज्ञ द्वारा ( सत्या: संतु यजमानस्य कामा: ) अनुष्ठान करने वाले यजमान की कामनाएं सत्य में सिद्ध होती हैं.
2.Cow dung in Yajna- उपलों- गोबर के कंडो से यज्ञ
पुरीष्यासो अग्नयः प्रावणेभिः सजोषसः |
जुषन्तां यज्ञमद्रुहोsनमीवा इषो महीः ||ऋ3.22.4
(पुरीष्यासो अग्नय: ) पंचगव्य अग्नि मे ( प्रावणेभि:सजोषस: )-उत्कृष्ट साधनों का समान प्रीति रखने वाले मरुतों-सूक्ष्माणुओं- के प्राप्त कराने का साधन हैं. इन के द्वारा यज्ञ से रोगाणुओं रहित पृथ्वी और अन्न प्राप्त करो.
3.उदुम्बर –गूलर-
अथर्ववेद के अनुसार गूलर पुष्टिदायक द्रव्यों में सर्वश्रेष्ट है. बंगाली में इसे यज्ञाडुम्बुर कहते हैं. समिधा के रूप में सब से उत्तम मानी जाती है.

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