Grih Pravesh (Entry to NEW HOME ) Based on Paraskar Grih
Sookt and Vedas.
पारस्कर
गृह्सूत्र 3.4 के अनुसार
1.
Announce
entry in to the new HOME by entering through the decorated main door, carrying
flower bouquets, gifts of fruits and sweets.
2.
And
carry in a bronze/Copper vessel mixed in water, milk, curd, honey, leaves of गूलर-Ficus Racemosa, पलाश टेसु – Butea Monosperma,कुशा Cyanodon
Dactylon and Barley seeds. (Modern
science has confirmed that all these ingredients are natural organic sanitizers
and have fungicidal and bacticidal properties.)
While entering recite:
धर्मस्तूणा राजँ
श्रीस्तूपमहोरात्रे द्वारफलके । इन्द्रस्य गृहा
वसुमन्तो वरूथिनस्तानहं प्रपद्ये सह प्रजाया
पशुभि: सह ॥पागृ3.4.18.1
धर्म के आधार पर बने इस सुन्दर
भवन में लक्ष्मी का निवास हो. ,दरवाज़े
खिड़कियों पर दिन
रात सुरक्षा के लिए देवता उपस्थित रहें
जिस से सारी धन
सम्पदा की
सुरक्षा से मेरे आश्रित पुत्र पौत्र सुरक्षित रहें.
This house achieved by honest means
should always ensure a prosperous living for the inmates. Gods may provide full
protection and safety on all entrances –doors and windows to ensure wellbeing
of all young children and dependants here.
यन्मे
किञ्चि दस्त्युपहूत: सर्वगण्सखायसाधुसंवृत: ।
तां त्वा शाले sरिष्ट्वीरा गृहान्न: सन्तु सर्वत इति॥ पागृ 3.4.18.2
हम प्रार्थना करते
हैं कि हमारा यह भवन हमारे परिवार जनों को
सदा रोग मुक्त
सुरक्षा प्रदान करे.
We also pray that this house may
always be free from any infections that may cause ill health or disease to the
inmates.
3.
Arrange to sit down and perform
jointly with all the family a PUJA and HAWAN (if it can be done).
For Hawan/ Puja consider
the following for reciting.
घी की आहुती
1.
ॐ वास्तोष्पदे
प्रति जानीह्यस्मान् त्स्वावेशो अनमीवो भवा न: ।
यत्वेमहे प्रति
तन्नो जुषस्व शं नो भव द्विपदे शं चतुष्पदे
स्वाहा ॥ ऋग्वेद
7.54.1.पा गृ
3.4.7.1
मैं इस नये भवन में प्रवेश करता हूं। मेरा यह प्रवेश मंगलमय हो । हमारी रक्षा
का भार तुम पर है। इस के लिए तुम आशीर्वाद दो कि मेरी देह, श्रेष्ठ, नीरोगी और स्वस्थ रहे। जिस किसी वस्तु की हमें अभिलाषा हो वह यथाशीघ्र प्राप्त हों । यह निवास हम सब के लिए कल्याणकारी हो.
I occupy this house to bring me good luck. This house may
provide to me with healthy ambience to ensure good health. All my needs for
this house may get fulfilled at appropriate times.
.
2. ॐ वास्तोष्पदे प्रतरणोन एधि गयस्फानो गोभिरश्वेभिरन्दो ।
अजरासस्ते सख्ये स्याम
पितेव पुत्रान् प्रति नो जुषस्व ।
शं नो भव द्विपदे
शं चतुष्पदे स्वाहा ।। ऋग्वेद 7.54.2,पागृ 3.4.7.2
हमारी चल सम्पत्ति की रक्षा करो ।
दुर्घटनाओं से सुरक्षा प्रदान करो । मित्र भाव से हमारे स्वास्थ्य और सम्पत्ति
की वृद्धि करो । हम चिर तरुण बने रहें । इस घर से हम
प्रेम की डोर से बंधे रहें ।
This house should provide complete safety to all
fixtures, furnishings, fittings and movable property safety against thefts and
accidents to ensure for us a relaxed carefree living, to make us feel always young
and cheerful and to be attached to this place.
3 . ॐ
वास्तोष्पदे शग्मया संसदा ते सक्षीमहि
रण्वया गातुमत्या ।
पाहि क्षेम उत योगे वरं नो
यूयं पात स्वस्तिभि: सदा न: ॥
ऋग्वेद7.54.3,
पागृ3.4.7..3
अति रमणीय और
सुखदायक उत्तम वाणी,
सहवास , और
सभा पड़ोस से सदा
सुख सम्बंध बनाए रखें । हमारे
प्राप्त धन और भविष्य में हमारी आय की रक्षा
करो । इस प्रकार हमारे कल्याण के सब साधनों
की रक्षा करो ।
This
house should ensure for us a very pleasant happy homely family and sweet atmosphere.
We should be relaxed and on friendly
terms with all our neighbors, that
ensures complete safety and protection for our entire wellbeing and
living here.
4.
ॐ अमीवहा
वास्तोष्पते विश्वा रूपाण्याविशन् ।
सखा सुशेव एधि न: स्वाहेति ॥ ऋग्वेद 7.55.1
पागृ3.4.7.4
इस भवन
में हमें रोगादि सुक्ष्माणुओ से सुरक्षा प्राप्त हो। सुंदर स्वास्थ्य दायक
वातावरण प्रदान करो ।
This
house may always have disease free, healthy ambience of positive energy.
स्थालीपाक से
आहुतियां खीर मिठाइ से हवन
(These are addressed to all different Devtas that
have a role in our wellbeing.)
1.
ॐ अग्निमिन्द्रं बृहस्पतिं विश्वाँश्च देवानुपह्वये ।सरस्वतीञ्च वाजीञ्चवास्तु मे दत्त वाजिन:
स्वाहा ॥ पागृ3.4.8.1
This offering of food in to fire is to symbolize my wish that food in this house
may promote the wisdom to lead an active life in welfare of the entire
community.
2.
ॐ सर्प देवजनान्त्सर्वान् हिमवन्तं सुदर्शनम् । वसूँश्च
रुद्रानादित्यानीशानं जगदै: सह । एतान्त्सर्वान्
प्रपद्येSहं
वास्तु मे दत्त वाजिन: स्वाहा ॥
पागृ 3.4.8.2
This offering of food in to fire is to symbolize my wish
that food in this house is to welcome the presence of health promoting, and
disease (pollutants) removing agents in
this house.
3.
ॐ पूवह्णणमपराहणं
चोभे मध्यन्दिना सह । प्रदोष्मर्धरात्रं चव्युष्टां देवीं महापथाम् । एतांत्सर्वान्
प्रपद्येSहं वास्तु मे दत्त वाजिन: स्वाहा ॥ पागृ 3.4.8.3
This offering of food in to fire is to symbolize my wish
that food in this house that the availability of Nature’s gift to ensure the
living of our physical body along with our mental faculties to remain fully
awake even during our sleep in the nocturnal 24 hours cycle.
4.
ॐ कर्तारञ्च विकर्तारं विष्वकर्माणमोषधींश्च वनस्पतीन् । प्रपद्येSहं
वास्तु मे दत्त वाजिन: स्वाहा ॥
पागृ 3.4.8.4
This offering of food in to fire is to symbolize my wish
that our life style in this house should ensure that the entire environment - ecosystem
provides us complete welfare.
5.
ॐ धातारं विधातारं निधीनांचपति सह । प्रपद्येSहं वास्तु मे दत्त वाजिन: स्वाहा ॥ पागृ 3.4.8.5
This offering of food in to fire is to symbolize my wish
that Nature is our guardian angel to shower all its bounties for us to live
happily and with peace in this house.
6.
ॐ स्योनं शिवमिदं
वास्तु दत्तंव्वब्रह्मप्रजापती। सर्वाश्च देवताश्च स्वाहा ॥पागृ 3.4.8.6
This offering of food in to fire is to symbolize my wish
that my guardian angels ensure that I progress in life to reach highest levels
of fame, prestige and prosperity.
After the hawan/Puja visit the
entire house starting from the main entrance anoint all the walls on the four
directions East-West- South-North with the sanitizing water mixture brought in
the bronze/copper vessel , while reciting the following:
On the
East side; श्रीश्च त्वा
यशश्च पूर्वे सन्धौ गोपायेतामिति । पागृ 3.4.10
तुम्हारा यश (समाज
में सम्मान) और धन सामर्थ्य तुम्हारी पूर्व दिशा की रक्षा करें
Your reputation and financial strength may provide
protection from Eastern side.
On the
South side; यज्ञश्च त्वा च
दक्षिणे सन्धौ गोपायेतामिति । पागृ 3.4.11
तुम्हारे समाजिक कार्य और दान तुम्हारी तुम्हारी दक्षिण
दिशा से रक्षा करें
Your social work and charities may provide you
protection from South side.
On the
West side; अन्नञ्च त्वा
ब्राह्मणाश्च पश्चिमे सन्धौ गोपायेतामिति
। पागृ 3.4.12
तुम्हारा अन्न और सुमति तुम्हारी पश्चिम दिशा से रक्षा करें
The wisdom in your living and your food may provide
protection from West side.
On the North side; ऊर्क्च त्वा सूनृता चोत्तरे सन्धौ गोपायेतामिति ।
पागृ 3.4.13
तुम्हारा तेज और सत्याचरण तुम्हारी उत्तर
दिशा से रक्षा करें
Your image in
community as supporter of just causes may provide protection from North side.
(Perhaps too much
should not be read in mention of specific directions East West South North.
Symbolically it is only reminder as to the type of your life style that provides
protection from all the four sides)
After these
ceremonies and a community meal, and thanking every one, while departing the
elderly persons may bless the house holder by reciting following;
इमे गृहा मयोभुव ऊर्जस्वन्त:
पयस्वन्त: ।
सर्व भवन्तोsत्राssनन्दिता: सदा
भूयासु ॥ अथर्व 7.60.2
तुम्हारा जीवन सुख समृद्धि दूध से
पूर्ण हो. (दूधो नहाओ पूतो फलो)
Departing guests wish
the householder a living full of prosperity and love.
ॐ सस्तु माता सस्तु पिता
सस्तु श्वा सस्तु विश्पति: ।
ससन्तु सर्वे ज्ञातय:
सस्त्वयमभितो जन: ॥ ऋग्वेद 7.55.5
इस घर के माता पिता, घर की रक्षा करने वाले बुज़ुर्ग , सब सम्बन्धी अड़ोस पड़ोस के जन सुख चैन से रहें।
Departing guests
also wish the householder a carefree happy living in the entire neighborhood.
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