Friday, July 29, 2011

Education to empower in Vedas

RV10.42_AV20.89 Higher Learning
Rig Veda Book 10 Hymn 42 उच्च शिक्षा विषय
उत्तम वाणी Language Communication
अस्तेव सु प्रतरं लायमस्यन्‌ भूषन्निव प्र भरा स्तोममस्मै |
वाचा विप्रास्तरत वाचमर्यो नि रामय जरितः सोम इन्द्रम || ऋ10.42.1,अथर्व20.89.1
Develop language communication skills to understand your adversary and direct your words to reach their targets just as sharp arrows reach their targets.
उत्तम ज्ञान द्वारा अपने प्रतिद्वंदि की वाणी( नीति) को समझ कर अपनी वाणी रूपी नीति को सुसज्जित कर के लक्ष्य तक पहुंचने वाले बाणों जैसा बना.
गुरु जनों के सखा make friends with teachers
दोहेन गामुप शिक्षा सखायं प्र बोधय जरितर्जारमिन्द्रम |
कोशं न पूर्णं वसुना न्यृष्टमा च्यावय मघदेयाय शूरम || ऋ10.42.2,अथर्व 20.89.2
Great scholars are humble as they are weighted down by their knowledge, wisdom and honors they have received for their life time’s achievements, develop friendly devotion to them to partake of their wisdom. .
भारी ज्ञान के कोष के बोझ से झुके हुवे गुरु को उत्तम शिक्षा पाने के लिए अपना मित्र बना.
शिक्षा का लक्ष्य Objective of Knowledge
किमङग त्वा मघवन्‌ भोजमाहुः शिशीहि मा शिशयं त्वा शृणोमि |
अपनस्वति मम धीरस्तु शक्र वसुविदं भगमिन्द्र भरा नः !!ऋ10.42.3,अथर्व 20.89.3
Advance resources and enthusiasm by nutrition, health, welfare of all.
ज्ञान विद्या का लक्ष्य सब मानव को धन धान्य सुख समृद्धि का लाभ पहुंचाना
कार्य क्षेत्र Assignments
त्वां जना ममसत्येष्विन्द्र संतस्थाना वि ह्वयंते समीके !
अत्रा युजं कृणुते यो हविष्मान्‌ नासुन्वता सख्यं वष्टि शूरः!!ऋ10.42.4, अथर्व 20.89.4
Calling of the learned is to help with welfare projects with their technical knowledge, expertise in proper management of all resources.
समाजिक उन्नति और समृद्धि के कार्य मे अपने विद्या ज्ञान और कार्यकौशल द्वारा योगदान विद्वत्‌जनों का दायित्व बनता है




उच्च शिक्षा संस्थान Higher Learning Institutions
धनं न स्पन्द्रं बहुलं यो अस्मै तीव्रान्‌ त्सोमाँ आसुनोति प्रयस्वान्‌!
तस्मै शत्रून्‌ त्सुतुकान्‌ प्रातरह्नो नि स्वष्ट्रान्‌ युवति हंति वृत्रम्‌ हन्ति वृत्रम्‌ ||ऋ10.42.5,अथर्व 20.89.5
Allocation of funds and resources to enable deep researches and learning destroys enemies of progress of society.
धन इत्यादि से समर्थ अनुसंधान शिक्षा सन्स्थान सामाजिक उन्नति के बाधक तत्वों को नष्ट कराती हैं. कुशल समय और साधनों के प्रबन्ध से सब विघ्न नष्ट हो जाते हैं
..
शिक्षा का परिणाम Managers’ Role
यस्मिन्‌ वयं दधिमा शंसमिन्द्रे यः शिश्राय मघवा काममस्मे |
आराच्चित्‌ सन्‌ भयतामस्य शत्रुर्न्य स्मै द्युम्ना जन्या नमन्ताम्‌ || ऋ10.42.6,अथर्व 20.89.6
Negative elements are overwhelmed by positive leadership of competent managers in the cause of public welfare.
उत्तम समर्थ कर्मठ नेतृत्व से सब विघ्नकारी शक्तियां भयभीत हो कर जन हित की नीतियों के सामने झुकें.
वैकुंठ सुख Sustainable prosperity
अस्मे आराच्छत्रुमप बाधस्व दूरमुग्रो यः शम्बःपुरुहूत तेन |
धेहि यवमद गोमदिन्द्र कर्धी धियंजरित्रे वाजरत्नाम || ऋ10.42.7,अथर्व 20.89.7
Wisdom establishes sustainable prosperity by decentralized systems based on domesticated cows.
समाज में सद्बुद्धि से गौ आधारित समृद्धि स्थापित हो, समाज धनवान हो, समीप और दूर की सब बाधाएं नष्ट हों.
शुद्ध ज्ञान प्रगति स्रोत्र R&d Links Progress
प्र यमन्तवृषसवासो अग्मन्‌ तीव्राः सोमा बहुलान्तास इन्द्रम |
नाह दामानं मघवा नि यंसन नि सुन्वते वहति भूरि वामम || ऋ10.42.8,अथर्व 20.89.8
Material Progress is linked to environment that creates strong urge for knowledge, wisdom and deep research.
जिस समाज में ज्ञान, शिक्षा, अनुसंधान के प्रति प्रबल पिपासा होती है वह उद्यमी में शक्ति प्रद ज्ञान द्वारा अक्षय समृद्धि प्राप्त करता है.
असफलता से शिक्षा Failures are teachers
उत प्रहामतिदीव्या जयाति कर्तं यच्छ्वघ्नी विचिनोति काले |
यो देवकामो न धना रुणद्धि समित तं रायास्र्जति सवधावान || ऋ10.42.9.अथर्व 20.89.9
Failures and set backs are to be utilized for making improvements in management practices to provide excellent sustainable prosperity.
असफलताओं से शिक्षा ले कर अपनी नीतियों में सुधार करने से अपूर्व सफलता मिलती है.
गौ आधारित समाज Cow based Society
गोभिष्टरेमामतिं दुरेवां यवेन क्षुधं पुरुहूतविश्वाम्‌ |
वयं राजभिः प्रथमा धनान्यस्माकेन वृजनेना जयेम || ऋ10.42.10,अथर्व 20.89.10

अमति जन्य दुर्बुद्धि से उत्पन्न दारिद्र्य का विकल्प गो इत्यादि पशुपालन है. इस से यथेष्ठ अन्न द्वारा
समाज में (दरिद्रों का भी) पोषण होता है. व्यक्तिगत क्षुधा नष्ट हो कर पोषित समाज में आर्थिक सम्पन्नता प्राप्त होती है. समाज के असन्तुष्ट एवं विध्वंसक तत्वों पर विजय प्राप्त होती है.
वैकुंठ इंद्र Eco Friendly prosperity
बृहस्पतिर्नः परि पातु पश्चादुतोत्तरस्मादधरादघायोः |
इद्रः पुरस्तादुत मध्यतो नः सखा सखिभ्योवरिवः कृणोतु !!ऋ10.42.11,अथर्व 20.89.11
बृहस्प्तति जगत की पालक शक्तियां हमारी वाणी द्वारा चारों दिशाओं से पापाचारी विरोद्धाम्तक शक्तियों से हमारा संरक्षण प्रदान करें. ( हम सब कुछ सोच समझ कर बोलें बिना हिंसा के ), पूर्व दिशा सूर्य और मध्यस्थानीय अंतरिक्ष और पृथ्वी हमें इंद्र जैसी उद्यमशीलता से सब को प्रिय समृद्धि पाप्त कराएं .
May we be blessed with speech facility to protect our interest from all four sides by democratic means , utilize the bounties of Sun, Atmosphere and Earth to generate wealth that is friends with every one.

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