Thursday, July 28, 2011

Rivers Dams Water Resources

Hydro Dams अपांनपात्
Devta -ApaanPaat
RigVeda 2-35
ऋषि:- कूर्मो गार्त्समद:- खूब कर्म करके सदैव प्रसन्न रहने वाला.
Literal meaning of ApaanPat is " that which prevents Waters from falling" a Dam type structure on water bodies before a waterfall.
इस सूक्त में नदियों पर जल प्रपातों और विशाल नदियों पर विद्युत उत्पादन, नहरों इत्यादि के उत्तम उत्तम जल प्रबंधन से समाज मे स्वच्छ जल , अन्न, ऊर्जा से सम्पूर्ण समाज को सुख समृद्धि पहुंचाने का उपदेश मिलता है.


Irrigation & Hydropower
उपेमसृक्षि वाजयुर्वचस्यां चनो दधीत नद्यो गिरो मे !
अपां नपादाशुहेमा कुवित्स सुपेशसस्करतिजोषिषद्धि !!
ऋ 2/35/1
अन्न और ऊर्जा से लाभान्वित होने के लिए वैज्ञानिकों को दो प्रकार के जल साधनों पर कार्य करना होग, एक वह जो तेज़ गति से शब्द करते हुए चल रहे हैं और दूसरे वह जो अपना जल प्रपातों से गिरा नहीं रहे.

Climate guides Irrigation
इमं स्वस्मै हृद आ सुतष्टं मन्त्रं वोचेम कुविदस्य वेदत् !
अपं नपादसुर्यस्य मह्ना विश्वान्यर्यो भुवनाजजान!!ऋ2/35/2

जिस प्रकार परमेश्वर लोक कल्याण के लिए जलों मे भिन्न भिन्न प्रकार के गुण और कार्य शक्ति उत्पन्न कर के मेघों से जल बरसाता है, उस ज्ञान का हमारे विद्वान भी अध्ययन करें.

Flood control can help irrigation& Hydropower

समन्या यन्त्युप यन्त्यन्या: समानमूर्वं नद्य: पृणन्ति !
तमू शुचि शुचयो दीदिवांसमपां नपातं परि तस्थुराप: है.!!
ऋ2/35/3

जिन नदियों मे भयंकर विनाश करने की क्षमता है, उन्ही मे ज्ञान पूर्वक ऊर्जा और कल्याणकारी साधन प्रदान करने की भी क्षमता है.


River System to guide planning
तमस्मेरा युवतयो युवानं मर्मृज्यमाना: परि यन्त्याप: !
सा शुक्रेभि: शिकभीरेवदस्मे दीदायानिध्मो घृतनिर्णिगप्सु !!
ऋ2/35/4


नदियां जो एक सुव्यस्थित सैन्य बल की तरह समुद्र की ओर चली जा रही होती हैं, उन के बहने वाले जल को चारों ओर से घेर कर सुसज्जित कर के सूर्य से शुचिता प्राप्त कर के जन कल्याण के बारे में कार्य करें


Three Bounties from Water
अस्मै तिस्रो अव्यथ्याय नारीर्देवाय देवीर्दिधिषंत्यन्नम् !
कृता इवोप हि प्रसर्स्त्रे अप्सु स पीयूषं धयति पूर्वसूनाम् !!
ऋ2/35/5

तीन देवियों की तरह अपने कर्तव्यों से जल में ऊर्जा, अन्न द्वारा पौष्टिकता और स्वस्थ संतानों को उत्पन्न कर के अमृत के समान दुग्ध की व्यवस्था करने की क्षमता है.

Social Benefits
अश्वस्यात्र जनिमास्य च स्वर्द्रुहो रिष: संपृच: पाहि सूरीन् !
आमासु पूर्षु परो अप्रमृष्यं नारातयो वि नशन्नानृतानि !!ऋ2/35/6
इस व्यवहार द्वारा जलों से लाभकारी ऊर्जा और उपभोक्ताओं के समीप जलों को उपलब्ध करा कर समृद्धि द्वारा समाज की सुरक्षा होती है और असमाजिक शत्रुरूप वृत्तियोंका नाश होता है.



Nutrition & Health benefits
स्व आ दमे सुदुधा यस्य धेनु: स्वधां पीपाय सुभ्वन्नमत्ति !
सो अपं नपादूर्जयन्नप्स्व S न्तर्वसुदेयाय विधते वि भाति !!ऋ2/35/7
अपने घरों के समीप स्वच्छ जल के साधनों से तृप्त समाज उत्तम अन्न जल का सेवन कर ऊर्जा प्रकाश इत्यादि साधनों के लिए धन भी दे सकता है.

Clean Water Promotes Health
यो अप्स्वा शुचिना दैव्येन ऋतावाजस्र उर्बिया विभाति !
वया इदन्या भुवनान्यस्य प्र जायन्ते वीरुधश्च प्रजाभि: !!
ऋ 2/35/8
जो स्वार्थहीन निष्छल सत्य व्यवहार से स्वच्छ जल के प्रबंध होते हैं वे समाज को उत्तम ओषधी युक्त जीवन से स्वास्थ्य भी प्रदान करवाते हैं.

National Wealth
अपां नपादाह्यस्थादुपस्थं जिह्मानामूर्ध्वो विद्युतं वसान: !
तस्य ज्येष्ठं महिमानं वहन्तीर्हिरण्यवर्णा परि यन्ति यह्वी: !!
ऋ 2/35/9
भूमि परअंधकार मय परिस्थितियों का विनाश करने के लिए जैसे अकाश मे बिजली कडक के मेघ हमारे समीप स्थिर होता है, उसी प्रकार यह नदियां अपने प्रवाह से हमारे लिए स्वर्ण तुल्य धन धान्य प्रदान करती हैं

Solar Water Treatment
हिरण्यरूप: सा हिरण्यसंदृगपां नपात्सेदु हिरण्यवर्ण: !
हिरण्ययात्परि योनेर्निषद्या हिरण्यदा ददत्यन्नमस्मै !!
ऋ 2/35/10
वायु द्वारा सूर्य के स्वर्ण समक्ष बल द्वारा जलों के बीच अव्यक्त अग्नि निरन्तर भूमि पर स्थापित होती है.
इस मन्त्र मे वायु, सूर्य और जल के द्वारा अग्नि उत्पन्न होने का ज्ञान water, carbon dioxide, solar radiation से photosynthesis द्वारा हरयाली में अग्नि तत्व स्थापित होने का उपदेश मिल रहा है.इस ज्ञान को अब Photobiology नाम से जानते हैं.

Give it same importance as Defense
तदस्मानीकमुत चारु नामाsपीच्यं वर्द्धते नप्तुरपाम् !
यमिन्धते युवतय: समित्था हिरण्य्वर्णं घृतमन्नस्य !!
ऋ 2/35/11
जो विद्वत जन इन साधनों को सुंदर सैन्य बल जैसी व्यवस्था और प्रबंधन द्वारा इन के गुणों को प्रबल यौवन युक्त नारी और इन का पोषन प्राणो जैसी प्रिय सन्तान की तरह करते हैं वे समाज में वर्तमान समय के लिए उत्तम सुंदर स्वच्छ जल, आहार की व्यवस्था करा के स्वर्णिम समाज स्थापित करते हैं.

Benefits the poorest
अस्मै बहुनामवमाय सख्ये यज्ञैर्विधेम नमसा हविर्भि: !
सं सानु मार्ज्मि दिधिषामि विल्मैर्दधाम्यन्नै: परि वन्द ऋग्भि: !! ऋ 2/35/12
समाज में जो अत्यन्त निर्बल अभाव ग्रस्त हैं उन्हें भी सब साधन अन्न आदि सेवन के पदार्थों की उपलब्धता प्रदान करने की सामर्थ्य और व्यवस्था की स्तुति करते हैं.

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