Thursday, July 28, 2011

National Growth in Vedas

National Growth RV10.120, AV5.2

ऋषि:- आथर्वणो बृहद्दिव: , आथर्वण is one who never disheartens, बृहद्दिव is one who attains to great heights
By देवता- इन्द्र: tireless entrepreneurship

Stable Infrastructure
Growth Oriented Policy
Vocational Training R&D
Disruptors – corrupt officials

ऋ10/120, अथर्व 5/2
Importance of Sun
तदिदास भुवनेषु ज्येष्ठं यतो जज्ञ उग्रस्त्वेषनृम्ण: !
सद्यो जज्ञानो नि रिणाति शत्रुननु यं विश्वे मदंत्यूमा: !! ऋ10/120/1, अथर्व 5/2/1
उसी समस्त लोक मे सब से बडे पराक्रमी (ब्रह्म द्वारा) द्वारा , सब से उग्र तेजोबलशाली सूर्य उत्पन्न हुव, जिस ने तत्काल से ही सारे (भौतिक मानसिक)अंधकार तथा हानिकारक (नकारात्मक विशादमयी मानसिकता, भौतिक कीटाणु रूप )शत्रुओं को नष्ट कर के प्रगति से आनंद प्रदान किया

Sun provides Leadership Inspiration

वावृधान: शएअसा भूर्योजा:शत्रुर्दासाय भियसं दधाति !
अव्यनश्च व्यनश्च सस्नि सं ते नवन्तु प्रभृता मदेषु !!
ऋ10/120/2, अथर्व 5/2/2
बल बढाता हुआ,महा ओजस्वी,(सूर्य) नकारात्मकता और आलस्य का शत्रु है, स्थावर जंगम सब में वृद्धि को प्राप्त कराता है. वही सब की पुष्टि को धारण कराता है.

Entrepreneurs Enrich Society
त्वे क्रतुमपि वृञ्जन्ति विश्वे द्विर्यदेते त्रिर्भवंत्यूमा: !
स्वादे स्वादीय:स्वादुना सृजा समद:सु मधु मधुनाभि योधी: !! ऋ 10/120/3, अथर्व 5/2/3
जब ये उद्यमशील प्रजाजन, अनेक अपने को प्रकार के यज्ञों के प्रति समर्पित हो जाते हैं , तब वे दो से तीन हो उत्पादन में वृद्धि कर के समाज की प्रगति द्वारा प्राणिमात्र के रक्षक हो जाते हैं,
Stable Entrepreneur friendly Policy
इति चिद्धि त्वा धना जयन्तं मदेमदे अनुमदन्ति विप्रा:!ओजीयो धृष्णो स्थिरमा तनुष्व मा त्वा दभन् यातुधाना दुरेवा: !! ऋ10/120/4
जब (विप्राः) प्रतिभावान जन (रणे रणे)अपने संघर्षों ( उद्योगों इत्यादि ) के द्वारा (धना जयंतं त्वा) समाज को समृधि प्राप्त कराते हैं (नु अनुमदंति) तब निश्चय ही सब आनंद पाते हैं . तब उन्हें (स्थिरम्‌ ओजीय) स्थिर बल प्रदान करो. (दुरेवासः) दुष्ट दुराचारी (कशोकाः) सुख मे दुःख उत्पन्न करने वाले (त्वा)समाज को उन को (मा दभन्‌) व्यथित न करे.
यहां वेद राष्ट्रीय योजनाओं उद्योगों इत्यादि के लिए एक स्थिर सहयोग नीति और इन आयोजनों की सफलता मे हानि करने वाले तत्वों से सुरक्षा का वातावरण बनाने का उपदेश दे रहा है.
Technology training R&D
त्वया वयं शाशद्महे रणेषु प्रपश्यन्तो युधेन्यानि भूरि |
चोदयामि त आयुधा वचोभिः सं ते शिशामिब्रह्मणा वयांसि || ऋ10.120.5 अथर्व 5.2.5

इन आयोजनों के समृद्धिदायक परिणामों से उत्साहित हो कर अपनी कौशलता और ज्ञान में वृद्धि से और अधिक उन्नति के लिए अपने शस्तास्त्रों ( मशीनों इत्यादि) को और अधिक उन्नत बनावें.
Standardize all work and Technology

स्तुषेय्यं पुरुवर्पसमृभ्वमिनतममाप्त्यमाप्त्यानाम्‌ |
आ दर्षते शवसा सप्त दानून्‌ प्र साक्षते प्रतिमानानिभूरि ||ऋ10.120.6
स्तुष्व वर्ष्मन्‌ पुरुवर्त्मानंसमृभ्वमिनतममाप्त्यमाप्त्यानाम्‌ !
आ दर्शति भूर्योजाः प्र सक्षति प्रतिमानं पृथिव्याः !! अथर्व 5.2,7

ज्ञान और कार्यकुशलता से हम अपने अपने क्षेत्रों में समृद्धि प्राप्त करने के सफल साधनों को जान कर उत्साहित हो कर, उन के द्वारा सप्त दानव जो समाज की प्रगति में बाधक बनते हैं उन पर विजय पाएं. और उत्तम कार्य शैलि के मानक बना कर चलें.

All to work like a family

नि तद दद्दिषेSवरं परं च यस्मिन्नाविथावसा दुरोणे |
आ मातरा स्थापयसे जिगत्नू अत इनोषि कर्वरा पुरूणि || ऋ10.120.7अथर्व 5.2.6
हमारे सब आयोजनों (उद्योगों में) भाग लेने वाले बिना ऊंच नीच के भाव से एक परवार के सदस्यों की तरह भाग लें. सब का अन्नादि से एक परिवार की तरह पोषण हो.

Be the best in the World

इमा ब्रह्म बृहद्दिवो विवक्तीन्द्राय शूषमग्रियःस्वर्षाः |
महो गोत्रस्य क्षयति स्वराजो दुरश्च अविश्वावृणोदप सवाः ||ऋ10.120.8 अथर्व 5.2.8
अपने क्षेत्र में उत्तम ज्ञान और उत्साह से स्वप्रेरित हो कर कर्म मे प्रवृत्त हो कर अपने तेज से प्रकाशमान हो कर विश्व मे अपना स्थान बनायें.

Do Not be Workaholic – work & Relax
एवा महान बृहद्दिवो अथर्वा Sवोचत स्वां तन्वमिन्द्रमेव |
स्वसारो मातरिभ्वरीररिप्रा हिन्वन्ति च शवसावर्धयन्ति च ||ऋ10.120.9 अथर्व5.2.9

अपने इन कार्यों मे व्यस्त रह्ने वालों को अपने ध्यान में रखना चाहिये कि निर्मल स्वच्छ आकाश रूप माता मे दिन और रात्री दो बहनों के समान रहती हैं, जो अपनी शक्ति से विश्राम और उद्यम दोनों के साधन प्रदान कर बके आनन्द की वृद्धि करती हैं.

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